घर की बिजली खपत के हिसाब से कितने kW का सोलर पैनल लगवाना चाहिए?

kW

यदि आपका बिजली बिल ₹1000 से ₹3000 के बीच आता है तो यह आर्टिकल आपके ही लिए है। यदि आप सोलर पैनल खरीदने की सोच रहे है तो पहले जानिए कौन-सा सिस्टम है सही रहेगा, कितनी होगी बचत और कैसे मिलेगी सरकार की सब्सिडी।

इसीलिए आपको इस आर्टिकल को शुरू से लेकर अंत तक पढ़ना होगा। भारत में तेजी से बढ़ती बिजली की मांग और रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) को लेकर सोलर एनर्जी (Solar Energy) का उपयोग एक बेहतरीन विकल्प बनता जा रहा है।

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लेकिन कई लोगों का सवाल यह है कि घर की बिजली खपत के अनुसार सोलर पैनल की क्षमता कैसे तय करें? तो चलिए जानते है इसी के बारेमे सभी जानकारी।

सबसे पहले जानिए अपनी दैनिक बिजली खपत

सही सोलर सिस्टम चुनने के लिए सबसे पहली जरूरत है अपनी बिजली खपत को समझना। इसके लिए आप अपने बिजली के मीटर या बिजली बिल से यह जानकारी प्राप्त कर सकते हैं कि हर महीने कितनी यूनिट (kWh) बिजली की खपत होती है।

उदाहरण के तौर पर, यदि आपके घर की मासिक बिजली खपत 300 यूनिट है, तो आप इसे 30 दिनों से विभाजित करके दैनिक खपत = 300 ÷ 30 = 10 यूनिट तय कर सकते हैं। यही आंकड़ा आगे की गणना के लिए आधार बनता है।

भारत में सोलर पैनल की औसत उत्पादन क्षमता क्या है

यहां एक 1 किलोवाट (kW) का सोलर पैनल प्रतिदिन औसतन 4 से 5 यूनिट बिजली उत्पन्न करता है। यह आंकड़ा क्षेत्र, मौसम, धूप की अवधि और पैनल की गुणवत्ता पर निर्भर करता है। सामान्यतः 4.5 यूनिट प्रतिदिन को एक आदर्श औसत मानते हुए आप अपने लिए आवश्यक क्षमता की गणना कर सकते हैं।

कितनी क्षमता का सोलर पैनल आपके लिए उपयुक्त होगा

अब जब आपने यह जान लिया कि आपकी दैनिक खपत कितनी है और सोलर पैनल कितनी यूनिट बिजली दे सकता है, तो आप आवश्यक क्षमता की गणना कर सकते हैं। उदाहरण के लिए:

अगर आपकी दैनिक खपत 10 यूनिट है, और एक kW सोलर पैनल 4.5 यूनिट बिजली देता है, तो आवश्यक क्षमता होगी: 10 ÷ 4.5 ≈ 2.2 kW यानी कि आपके लिए 2.5 kW का सोलर सिस्टम उपयुक्त रहेगा जो आपकी दैनिक जरूरतों को पूरा कर सकेगा और थोड़ी अतिरिक्त बचत भी सुनिश्चित करेगा।

जानिए लागत और सरकारी सब्सिडी का फॉर्मूला

ऑन-ग्रिड सिस्टम, जिसमें बैटरी नहीं होती, उसकी कीमत लगभग ₹50,000–₹60,000 प्रति किलोवाट होती है। जबकि ऑफ-ग्रिड सिस्टम, जिसमें बैटरी भी शामिल होती है, की कीमत लगभग ₹1,00,000 प्रति किलोवाट तक पहुंचती है।

  • 1 kW पर ₹30,000
  • 2 kW पर ₹60,000
  • 3 से 10 kW तक की प्रणाली पर अधिकतम ₹78,000

किस प्रकार का सोलर सिस्टम आपके लिए सही रहेगा

ऑन-ग्रिड सिस्टम तब बेहतर होता है जब आपके क्षेत्र में बिजली आपूर्ति सामान्य रूप से उपलब्ध होती है और आप ग्रिड से जुड़े रहना चाहते हैं। यह कम लागत वाला और अधिक व्यावहारिक विकल्प होता है।

ऑफ-ग्रिड सिस्टम उन क्षेत्रों के लिए आदर्श है जहां बिजली की उपलब्धता सीमित या अनियमित होती है, और उपयोगकर्ता आत्मनिर्भरता चाहते हैं।

हाइब्रिड सिस्टम उन लोगों के लिए सही है जो ग्रिड से जुड़े रहना चाहते हैं लेकिन साथ ही बैटरी बैकअप की सुविधा भी चाहते हैं ताकि बिजली कटने पर भी सप्लाई बनी रहे।

यदि आपके घर की मासिक खपत है 300 यूनिट

इसके लिए आवश्यक सोलर पैनल क्षमता होगी 2.2–2.5 kW। ऑन-ग्रिड सिस्टम की लागत ₹1.25 लाख तक होगी, लेकिन सब्सिडी के बाद यह ₹65,000–₹75,000 में उपलब्ध हो सकता है। ऑफ-ग्रिड सिस्टम की लागत अधिक होती है, जो कि ₹2.5 लाख तक जा सकती है।

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